काशी का हर आम भी खास है.
धर्म-कर्म का मर्म यहां बच्चा-बच्चा समझता है. प्रधानमंत्री मोदी ने यहां से चुनाव
लड़कर इसका सियासी रुतबा भी आसमान पर पहुंचा दिया, वहीं पीएम के संसदीय क्षेत्र
के लोगों का यह अहसास और मजबूत हो, इसे भी मोदी शिद्दत से
सुनिश्चित कर रहे हैं.
बाबा विश्वनाथ की प्रजा को
मोदी अपनी जन्मभूमि गुजरात के सोमनाथ और द्वारका से भी सीधे जोड़कर रिश्तों को
भावनात्मक स्तर पर ठोस बंधन में कस रहे हैं. काशी यानी वाराणसी के करीब 500 प्रधानों
को उनके पति या पत्नी के साथ पीएम पहले दिल्ली में मिल रहे हैं. प्रधानमंत्री आवास
यानी सात रेसकोर्स में उनकी मेजबानी वह ठेठ बनारसी अंदाज में कर रहे हैं. इसके बाद
उन्हें दिल्ली में संसद से लेकर अक्षरधाम की सैर करवाकर उन्हें गुजरात भेजा जा रहा
है.
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जलेबी और कचौड़ी के साथ
चर्चा
प्रधानमंत्री ने खुद लगभग 500 ग्राम प्रधानों को निमंत्रण भेजकर दिल्ली बुलाया. यहां पुरुष प्रधान हैं उन्हें पत्नी के साथ और जहां प्रधान महिला हैं, उन्हें पति के साथ न्योता भेजा गया. एसी कोच से दिल्ली पहुंचते ही विश्व युवा केंद्र में प्रधानों को ठहराया जाता है और फिर प्रधानमंत्री से चाय पर चर्चा होती है. बनारस की गर्म जलेबी और कचौड़ी का लुत्फ उठाते-उठाते मोदी प्रधानों से इस तरह मिलते हैं, जैसे बरसों से उन्हें जानते हों.
प्रधानमंत्री ने खुद लगभग 500 ग्राम प्रधानों को निमंत्रण भेजकर दिल्ली बुलाया. यहां पुरुष प्रधान हैं उन्हें पत्नी के साथ और जहां प्रधान महिला हैं, उन्हें पति के साथ न्योता भेजा गया. एसी कोच से दिल्ली पहुंचते ही विश्व युवा केंद्र में प्रधानों को ठहराया जाता है और फिर प्रधानमंत्री से चाय पर चर्चा होती है. बनारस की गर्म जलेबी और कचौड़ी का लुत्फ उठाते-उठाते मोदी प्रधानों से इस तरह मिलते हैं, जैसे बरसों से उन्हें जानते हों.
खुद
को 'प्रधान सेवक'
कहने वाले मोदी ने प्रधानों से कहा, 'आप
प्रधान हैं और मैं मंत्री हूं. हम दोनों से ही प्रधानमंत्री बनता है.' जाहिर है मोदी की इस खास पहल ने उनके क्षेत्र वाराणसी के लोगों को नतमस्तक
कर दिया. चाय के बाद खाने पर मोदी ने स्वच्छ्ता अभियान से लेकर बच्चों को पोलियो
का टीका लगवाने की जरूरत पर बात की. भरोसा दिलाया कि जब भी उन्हें मोदी की जरूरत
हो वो बेझिझक अपने सांसद को याद करें.
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वाराणसी के ग्राम प्रधानों को पहले गुजरात का वैभव दिखाने
के लिए बड़ौदा के कुछ स्थानों पर ले जाया जा रहा है. इसके बाद सोमनाथ और द्वारका
के दर्शन करा पूरी तरह से अभिभूत प्रधानों को इनके जीवनसाथी के साथ पूरी आवभगत के
साथ वापस काशी भेजा जा रहा है.
इसे यूपी चुनावों से पहले की सियासी कवायद कहें या फिर अपने संसदीय क्षेत्र
से रिश्ता प्रगाढ़ करने की मंशा, लेकिन काशी
के सभी प्रधानों के लिए यह आजीवन याद रहने वाला अवसर जरूर बन गया. खासतौर से जिस
आत्मीयता और गर्मजोशी से मोदी सभी प्रधानों व उनके पति या पत्नियों से मिल रहे हैं,
बाकी नेताओं के लिए भी यह उदाहरण जरूर बन गया है.
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