दुनिया भर में कोरोना वायरस से अब तक दो लाख, 73 हज़ार से ज़्यादालोगों की जान जा चुकी है. साथ ही संक्रमण के मामले भी बढ़कर 39 लाख सेज़्यादाहो गए हैं.
इस वायरस से संक्रमित मरीज़ों में ब्रितानी प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भी शामिल थे, लेकिन इलाज के बाद वो ठीक हो चुके हैं और अब काम पर लौट गए हैं.
हम आपको यहां बता रहे हैं कि कोरोना वायरस संक्रमण कैसे फैलता है और इससे बचने के लिए आप क्या-क्या कर सकते हैं.
कोरोना वायरस आपके फेफड़ों को संक्रमित करता है. इसके दो मूल लक्षण होते हैं बुख़ार और सूखी खांसी. कई बार इसके कारण व्यक्ति को सांस लेने में भी दिक्कत पेश आती है.
कोरोना के कारण होने वाली खांसी आम खांसी नहीं होती. इस कारण लगातार खांसी हो सकती है यानी आपको एक घंटे या फिर उससे अधिक वक्त तक लगातार खांसी हो सकती है और 24 घंटों के भीतर कम से कम तीन बार इस तरह के दौरे पड़ सकते हैं. लेकिन अगर आपको खांसी में बलग़म आता है तो ये चिंता की बात हो सकती है.
इस वायरस के कारण शरीर का तापमान 37.8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है जिस कारण व्यक्ति का शरीर गर्म हो सकता है और उसे ठंडी महसूस हो सकती है. व्यक्ति को शरीर में कंपकंपी भी महसूस हो सकती है.
माना जा रहा है कोरोना वायरस के लक्षण दिखना शुरु होने में औसतन पांच दिन का वक्त लग सकता है लेकिन कुछ लोगों में ये वक्त कम भी हो सकता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार वायरस के शरीर में पहुंचने और लक्षण दिखने के बीच 14 दिनों तक का समय हो सकता है.
कब होती है अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत?
जिन लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण है उनमें से अधिकतर लोग आराम करने और पैरासिटामॉल जैसी दर्द कम करने की दवा लेने से ठीक हो सकते हैं.
अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत तब होती है जब व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत आनी शुरू हो जाए. मरीज़ के फेफड़ों की जांच कर डॉक्टर इस बात का पता लगाते हैं कि संक्रमण कितना बढ़ा है और क्या मरीज़ को ऑक्सीजन या वेंटिलेटर की ज़रूरत है.
लेकिन इसमें मरीज़ को अस्पताल के आपात विभाग यानी ऐक्सीडंट ऐंड इमर्जेंसी में भर्ती होने की ज़रूरत नहीं होती.
अगर मरीज़ को सांस लेने में काफी परेशानी हो रही है तो वो भारत सरकार के हेल्पलाइन नंबर +91-11-23978046 या फिर 24 घंटों चलने वाले टोल फ्री नंबर 1075 पर संपर्क कर सकते हैं. देश के विभिन्न राज्यों ने भी नागरिकों के लिए हेल्पलाइन शुरु किए हैं जहां ज़रूरत पड़ने पर फ़ोन किया जा सकता है.
वहीं ब्रिटेन में इमर्जेंसी की स्थिति में व्यक्ति 999 नंबर पर संपर्क कर सकते हैं.
इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में क्या होता है?
इंटेंसिव केयर यूनिट अस्पताल के ख़ास वार्ड होते हैं जहां गंभीर रूप से बीमार मरीज़ों को रखा जाता है.
यहां कोरोना वायरस के मरीज़ों के ऑक्सीजन की ज़रूरत को मुंह पर ऑक्सीजन मास्क लगा कर या फिर नाक में ट्यूब के ज़रिए पूरा किया जाता है.
जो लोग गंभीर रूप से बीमार हैं उन्हं वेंटिलेटर पर रखा जाता है. यहां सीधे फेफड़ों तक ऑक्सीजन की अधिक सप्लाई पहुंचाई जाती है. इसके लिए मरीज़ के मुंह में ट्यूब लगाया जाता है या फिर नाक या गले में चीरा लगा कर वहां से फेफड़ों में ऑक्सीजन दिया जाता है.
कितना घातक है कोरोना वायरस?
कोरोना वायरस के संक्रमण के आँकड़ों की तुलना में मरने वालों की संख्या को देखा जाए तो ये बेहद कम हैं. हालांकि इन आंकड़ों पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता, लेकिन आंकड़ों की मानें तो संक्रमण होने पर मृत्यु की दर केवल एक से दो फ़ीसदी हो सकती है.
फ़िलहाल कई देशों में इससे संक्रमित हज़ारों लोगों का इलाज चल रहा है और मरने वालों का आँकड़ा बढ़ भी सकता है.
6 फ़ीसदी लोग इस वायरस के कारण गंभीर रूप से बीमार हुए. इनमें फेफड़े फेल होना, सेप्टिक शॉक, ऑर्गन फेल होना और मौत का जोखिम था.
14 फ़ीसदी लोगों में संक्रमण के गंभीर लक्षण देखे गए. इनमें सांस लेने में दिक्क़त और जल्दी-जल्दी सांस लेने जैसी समस्या हुई.
80 फ़ीसदी लोगों में संक्रमण के मामूली लक्षण देखे गए, जैसे बुखार और खांसी. कइयों में इसके कारण निमोनिया भी देखा गया.
कोरोना वायरस संक्रमण के कारण बूढ़ों और पहले से ही सांस की बीमारी (अस्थमा) से परेशान लोगों, मधुमेह और हृदय रोग जैसी परेशानियों का सामना करने वालों के गंभीर रूप से बीमार होने की आशंका अधिक होती है.
कोरोना वायरस का इलाज इस बात पर आधारित होता है कि मरीज़ के शरीर को सांस लेने में मदद की जाए और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाए ताकि व्यक्ति का शरीर ख़ुद वायरस से लड़ने में सक्षम हो जाए.
कोरोना संक्रमण की वजह से पनपे हालात से सामान्य जीवन की ओर लौटने की तमाम कोशिशें जारी हैं. इस बीच मंगलवार से शुरू हो रही रेल सेवा में टिकट बुकिंग के लिए काफ़ी मारा-मारी दिखी.
द इंडियन एक्सप्रेस की एक ख़बर के मुताबिक, ट्रेनों को पूरी क्षमता के साथ चलाया जाएगा. यह यात्रियों पर निर्भर करेगा कि वो सोशल डिस्टेंसिंग को कैसे बरकरार रखते हैं और ट्रेनों के गंतव्य स्टेशन पहुंचने पर यह जिम्मेदारी राज्यों की होगी कि वो क्या प्रोटोकॉल अपनाते हैं.
सोमवार को टिकट बुकिंग शुरू होने के 20 मिनट में ही हावड़ा-नई दिल्ली के बीच चलने वाली ट्रेन के टिकट अगले पांच दिनों के लिए भी बिक गए. यही हाल मुंबई-नईदिल्ली रूट पर चलने वाली ट्रेन का भी रहा.
रेलवे के एक प्रवक्ता के हवाले से अख़बार ने लिखा, "रात में सवा नौ बजे तक 30 हज़ार पीएनआर जनरेट हो चुके थे और अब तक करीब 54000 यात्रियों ने रिजर्वेशन किया है."
हालांकि तकनीकी समस्या की वजह से बुकिंग को कुछ घंटों के लिए रोकना भी पड़ा. सोमवार को प्रधानमंत्री के साथ हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में कई मुख्यमंत्रियों ने इस वक़्त ट्रेन चलाए जाने को लेकर चिंता जाहिर की है.
दुनिया भर में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का आंकड़ा 537,873 तक पहुंच चुका है
नई दिल्ली: दुनिया भर में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का आंकड़ा 537,873 तक पहुंच चुका है. वहीं इस संक्रमण से मरने वाले लोगों की संख्या 24,149 हो गई है. ये आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं और साथ ही लोगों में डर भी बढ़ रहा है.
भारत समेत कई देशों में लॉकडाउन किया जा चुका है और लोगों को कोरोना से बचने के लिए सरकारें और संबंधित विभाग समय-समय पर एडवाइजरी जारी कर रहे हैं. वहीं लोगों के मन में भी इससे जुड़े कई सवाल लगातार आ रहे हैं. ऐसा ही एक सवाल है कि क्या धूम्रपान या तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों में कोरोना के संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञ बताते हैं कि धूम्रपान करने वाले लोगों में बाकी लोगों के मुकाबले संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा होता है. इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि सिगरेट या बीड़ी, जो कि संक्रमित भी हो सकती है, उंगलियों और होठों के सीधे संपर्क में आती है. इससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा, हुक्का, सिगार या ई-सिगरेट का सेवन करने वालों के लिए भी ये खतरनाक साबित हो सकता है.
अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ड्रग ऐब्यूज़ की डायरेक्टर डॉ नोरा वॉलकोव का कहना है कि क्योंकि ये वायरस सीधा फेफड़ों पर हमला करता है, इसलिए धूम्रपान करने वाले लोगों के लिए ये एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है. धूम्रपान करने से फेफड़ों की कोशिकाएं कमजोर पड़ जाती हैं, जिससे उनमें इंफेक्शन से लड़ने की ताकत नहीं रह जाती.
हालांकि कोरोना के मरीजों में धूम्रपान से संबंधित ऐसे आंकड़े अभी सामने नहीं आए हैं, लेकिन माहामारी के इस समय में स्वास्थ्य विशेषज्ञ यही सलाह देते हैं कि लोग धूम्रपान से बचें.